व्लादिमीर पुतिन का भारत दौरा 2025: स्वागत से लेकर समझौतों तक
December 6, 2025 | by gangaram5248@gmail.com

4–5 दिसंबर 2025 को हुए 23rd India–Russia Annual Summit के लिए, भारत सरकार ने पुतिन को “State Visit” का दर्जा दिया था।
उनकी दिल्ली पहुंच पर, Narendra Modi ने उन्हें एयरपोर्ट पर व्यक्तिगत रूप से स्वागत किया। दोनों नेताओं ने एक-दूसरे से हाथ मिलाया, गले मिले और फिर एक ही कार में दिल्ली एयरपोर्ट से निकले — यह gesture इस बात का प्रतीक था कि भारत-रूस रिश्ते औपचारिक नहीं, बल्कि दोस्ताना और व्यक्तिगत भरोसे पर आधारित हैं। अगले दिन पुतिन को राजधानी में औपचारिक स्वागत एवं राष्ट्रपति भवन में गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया, और सम्मान समारोह (state banquet) आयोजित हुआ।
इस वार्षिक शिखर सम्मेलन में, भारत और रूस ने अपनी “विशेष और विशेषाधिकार प्राप्त रणनीतिक साझेदारी (Special and Privileged Strategic Partnership)” का पुनर्मूल्यांकन और मजबूत करने पर चर्चा की। रक्षा (defence), ऊर्जा (energy), व्यापार (trade), परमाणु ऊर्जा (nuclear energy), कृषि, स्वास्थ्य, सांस्कृतिक व मीडिया सहयोग जैसे कई क्षेत्रों में विस्तार की रूपरेखा तय करने की बात हुई।
खास तौर पर, ऊर्जा और ईंधन आपूर्ति (fuel supply), और निरंतर रूस-भारत ऊर्जा सहयोग की प्रतिबद्धता पर जोर दिया गया। रूस ने कहा कि वह भारत को “uninterrupted fuel shipments” देने के लिए तैयार है, ताकि भारत की बढ़ती ऊर्जा जरूरतें पूरी हों। साथ ही रक्षा सहयोग को आधुनिक स्वरूप देने की दिशा में — यानी सिर्फ हथियार खरीदार-बिक्री नहीं, बल्कि “joint research, development और manufacturing” पर जोर — दिया गया।
दोनों नेताओं ने एक नई आर्थिक सहयोग रूपरेखा स्वीकार की — रूस-भारत व्यावसायिक सहयोग को 2030 तक विस्तारित करने का प्रोग्राम। लक्ष्य रखा गया है कि द्विपक्षीय व्यापार (bilateral trade) को लगभग US $100 billion तक ले जाया जाए। ऊर्जा क्षेत्र में, रूस ने भारत को तेल, गैस और अन्य ईंधन की निरंतर आपूर्ति देने की गारंटी दी, जो भारत की ऊर्जा सुरक्षा के लिए अहम है।
रक्षा व सुरक्षा साझेदारी को नयी दिशा मिली — आधुनिक रक्षा प्लेटफार्मों के लिए रूस-भारत संयुक्त विकास (joint development) और विनिर्माण (manufacturing) की रूप रेखा बनी। ऊर्जा, कृषि, स्वास्थ्य, फार्मा, मीडिया, सांस्कृतिक आदान-प्रदान आदि कई गैर-परंपरागत क्षेत्रों में भी सहयोग बढ़ाने पर सहमति हुई। इससे भारत-रूस संबंध सिर्फ रक्षा-ऊर्जा तक सीमित नहीं रहेंगे।
इस दौरे का मतलब केवल स्वागत-सभाएँ या पारंपरिक कूटनीति नहीं था — यह दोनों देशों के बीच रणनीतिक गठजोड़ को फिर से मजबूत करने का संकेत था। पश्चिमी दवाओं और दबावों के बीच, रूस और भारत ने यह दिखाया कि उनका रिश्ता सिर्फ समय आधारित नहीं, बल्कि “आत्मनिर्भर और भरोसेमंद साझेदारी” है।
व्लादिमीर पुतिन का भारत दौरा 2025: स्वागत से लेकर समझौतों तक_Vladimir Putin India Visit 2025: Welcome, Talks & Key Achievements
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